Madhu varma

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लेखनी कविता -और जीवन बीत गया - कुंवर नारायण

और जीवन बीत गया / कुंवर नारायण


इतना कुछ था दुनिया में
लड़ने झगड़ने को

पर ऐसा मन मिला
कि ज़रा-से प्यार में डूबा रहा

और जीवन बीत गया..।

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